ओशो एक अनूठे मनीषी हैं जिन्होंने पृथ्वी पर एक सर्वथा नये मनुष्य की अवधारणा दी। उन्होंने स्पष्ट और बार-बार घोषणा की कि आने वाले वर्षों में या तो पृथ्वी एक नये मनुष्य का जन्म देखेगी और या फिर मनुष्य जाति का संपूर्ण विनाश देखेगी; तीसरा कोई विकल्प नहीं है। यह बहुत निर्णायक घड़ी है। मनुष्य जाति के ज्ञात इतिहास में ऐसी निर्णायक घड़ी कभी न थी कि मनुष्य पृथ्वी पर स्वर्ग उतार सकता है, ऋषियों-मुनियों के स्वप्निल स्वर्ग को यथार्थ में बदल सकता है और या अगर अपनी मूढ़ता भरी धारणाओं, परंपराओं और मान्यताओं की जकड़ में पड़ा रहा तो पृथ्वी पर से न केवल मनुष्य वरन् संपूर्ण जीवन का विनाश होगा जो कि अस्तित्व के लिए भी बहुत बड़ी हानि की बात है। सृष्टि के विकास में करोड़ों-करोड़ों वर्षों में पृथ्वी बनी और पृथ्वी के रूप लेने के भी 40 लाख वर्षों बाद मनुष्य बना। अत: अगर वह नष्ट होता है तो यह बहुत बड़े नुकसान की बात होगी