किरण बेदी एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने खाकी वर्दी को नयी गरिमा प्रदान की है। समाज में गैर-बराबरी, अन्याय और जुल्म उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होते । ‘जैसा मैंने देखा’ संकलन में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को आधार बनाकर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि कारगर और प्रभावशाली हस्तक्षेप व्यवस्था और सामाजिक कुरीतियों के शिकार और खासकर महिलाओं को उनका हक दिलवाया जा सकता है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने को प्रेरित किया जा सकता है । एक बार पढ़ना शुरू करने पर आप इसे छोड़ नहीं पाएंगे ।