इक्कीसवीं सदी में नवीनता से ही बदलाव लाया जा सकता है और यही इसका मुख्य चालक है। परन्तु अभी तक हम सरकारों को रचनात्मकता के लिए और उनके ‘खतरे उठाने की क्षमताओं’ के लिए नहीं पहचानते थे। लेकिन, जब से नरेंद्र मोदी ने मई, 2014 में प्रधानमंत्री का पद संभाला है, तब से उन्होंने भरपूर प्रयास किया है कि शासन में नवीनता की सभ्यता लाई जाये। इस पुस्तक में शासन की प्रणाली में 17 ऐसे नवीन प्रयोगों की बात करी गयी है जो आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हैं, कुछ मामलों में नयी संस्थाएं खोली गयी हैं, कुछ में प्रक्रियाओं को नया रूप दिया गया है, लेकिन सरकार के काम में अधिक सक्षमता और प्रभाविकता लाने के लिए सब में समान जोर दिया गया है। इन ‘governnovations’ ने पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाया है, जैसे कि सरकार का ई- मार्केट मंच, जिसके अंतर्गत ‘मन की बात’ जैसा प्रोग्राम आता है, जो लोगों से बातचीत का बड़ा नया तरीका है। उसके बाद हम नीति आयोग और इन्वेस्ट इंडिया की बात कर सकते हैं, फिर है दलित वीसी फण्ड जो सामाजिक जिम्मेदारी से सम्बंधित है, कुछ प्रोग्राम ऐसे हैं जो भारतीय सभ्यता को बढ़ावा देते हैं, जैसे ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ का मनाया जाना, और सबसे अधिक महत्व की बात यह है कि ऐसे अनेक प्रोग्राम हैं जो सभी सरकारों के उद्देश्य होने चाहिए, क्योंकि उन्होंने औसत हिंदुस्तानी के जीवन को आसान बनाने में योगदान दिया है-चाहे वह ‘भीम’ हो या ‘उन्नत ज्योति’ या ‘रेलवे ट्विटर सेवा’। इस महत्वपूर्ण संग्रह की अवधारणा भारत के राजनैतिक और बेहतर शासन का प्रशिक्षण देने वाले अग्रणी विशेषज्ञों की है, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बड़े विचारोत्तेजक रूप से भारत में शासन की नवीनताओं का उद्देश्य पूरा करते हैं और उनका कार्यान्वन करते हैं।