शह्रयार की प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों के इस संकलन को उर्दू काव्य प्रेमियों और पाठकों ने जितना पसंद किया, उतना देवनागरी में छपे उनके अन्य किसी संकलन को नहीं। उर्दू शायरी में उल्लेखनीय योगदान के लिए शह्रयार को वर्ष 2008 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये जाने से इस संकलन की गरिमा और बढ़ जाती है। उनकी कुछ अन्य रचनाओं के समावेश के साथ प्रस्तुत है ‘मिलता रहूँगा ख़्वाब में’ का यह ताज़ा और अद्वितीय संस्करण।