रूपों में रूप है, नारी का, मनभावन जननी दुलारी का, गुलों में गुल है गुलाब का, प्रखर जननी के प्रताप का। प्रसव पीड़ा का एहसास लिए, हृदय में ये विश्वास लिए, वक्ष में अमृतधार लिए, मुखमंडल पर मृदु प्यार लिए, नित नये सपनों का संसार लिए, रूपों में रूप है, नारी का - इसी संकलन से