महाभारत भारतीय संस्कृति का अन्यतम ग्रंथ है। इसे पांवा वेद कहा गया है। अनेक भारतीय-पाश्चात्य विद्वानों ने इसे महाकाव्य मानकर संस्कृति, दर्शन तत्व, चिंतन, भक्ति की सम्पूर्ण अभिव्यक्ति का मूल स्रोत माना है।
महाभारत में जिस विराट संस्कृति, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के व्यवहार की आधारशिला रखी गई है, उसका वहन करते हैं योगीराज कृष्ण, भीष्म, द्रोण, कौरव, पाण्डव और प्रकृति शक्ति में कुंती, द्रौपदी तथा गांधारी जैसी सती! इनके साथ सांस्कृतिक विकास के आरोह अवरोह में‒सहयोगी होते हैं‒कर्ण, द्रुपद तथा अन्य पात्र (चरित्र) जो सीधे महाभारत के रचना धरातल पर सक्रिय हैं।