‘कुरुक्षेत्र गीतावली’ के लेखक कमाण्डर विनय सिंह मेरे अधीन भारतीय नौसेना अकादमी की प्रशासनिक शाखा में प्रथम अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। जब उन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित करने का निश्चय किया तो वे सर्वप्रथम एक हस्तलिखित प्रति के साथ मेरे सम्मुख प्रस्तुत हुए। मैंने विनोद भाव में उनसे पूछा कि क्या उनके पास कार्य का पर्याप्त बोझ नहीं है, जो उन्हें किताब एवं कविताएं लिखने का समय मिल जाता है, पर वास्तव में मैं इस बात से बहुत प्रसन्न हुआ कि हमारी इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर की भारतीय नौ सेना अकादमी के एक अफसर ने अपनी मातृभाषा को सम्मान देते हुए ऐसा प्रयास किया।