मुंशी प्रेमचंद्र की लोकप्रियता का कारण है - उनकी रचनाओं का साधारण , सरल व सहज होना । उनकी रचनाओं में उकेरी गई समस्याएँ हमारी निजी समस्याएँ है । जो समस्याएँ मुंशी जी ने सौ वर्ष पहले उठाई, आज भी उसकी प्रासंगिकता जस की तस है- यही उनके कालजयी रचनाकार होने का सबसे बड़ा प्रमाण है । इसमें कोई संदेह नहीं की युग-पर्यंत उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता अक्षुण्ण रहेगी । अत: प्रेमचंद्र को भारतीय समाज का युगद्रष्टा साहित्यकार कहा जा सकता है ।
प्रस्तुत पुस्तक में मुंशी प्रेमचंद्र की जीवनी से संबंधित समस्त जानकारी संग्रहित है । आशा है , इसके अध्ययन से पाठकबंधु अत्यन्त लाभान्वित होंगे ।