“अगर आज उपनिषद् का ऋषि आ जाए तो कैसी उपनिषद् लिखेगा?”
“यह कलजुग है, उपनिषद् लिखने का युग निकल गया ।”
“युग कैसे निकल गया, जो
विषय सतयुग, त्रेता, द्वापर में थे ही नहीं, जो कलजुग में ही उपजे हैं, उन पर विचार करने के लिए भी तो कोई उपनिषद् चाहिए, कोई ऋषि चाहिए ।”
“जब जरूरत होगी, भगवान उस ऋषि को भेज देंगे ।” विदुला ने कहा ।
– इसी पुस्तक