मनोवैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों के लिए आनंद हमेशा से एक गम्भीर विषय रहा है। आनंद क्या है ? क्या मानव के लिए इसे पाना संभव है ? ऐसे कौन से तत्त्व हैं जो जीवन को आनंद के साथ व्यतीत नहीं करने देते हैं ? आनंद प्राप्त करने के क्या तरीके हैं ?
ये प्रश्न नए नहीं हैं। हर किसी ने अपनी-अपनी तरह से इनका उत्तर देने का प्रयास किया है। लेकिन आम आदमी अभी भी अपने को इस विषय में अनुत्तरित या असंतुष्ट महसूस करता है तथा बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहता है। प्रस्तुत पुस्तक में मैंने इन्हीं विषयों को छूने की ईमानदार कोशिश की है।