इस किताब को सोच समझकर पढ़ियेगा क्योंकि इसमें मीठी, किताबी और पुचकारने वाली बातें नहीं हैं। हो सकता हे की यह पुस्तक आपको झंझोडे, चोट पहुंचाये, शर्मिंदा करे, उद्वेलित करे, प्रेरित करे या कड़वे सच सामने ले आये।
लेकिन, एक बात तय हे, आपके मस्तिष्क में विचारों विस्फोट जरूर होगा और....
आप फिर से जूझने के लिए तैयार होंगे, बिना जीतहार की परवाह किये।