‘हिन्द स्वराज्य’ की प्रस्तावना में गांधी जी ने स्वयं लिखा है कि व्यक्तिशः उनका सारा प्रयत्न ‘हिन्द स्वराज्य’ में बताये हुए आध्यात्मिक स्वराज्य की स्थापना करने के लिए ही है। लेकिन उन्होंने भारत में अनेक साथियों की मदद से स्वराज्य का जो आन्दोलन चलाया कांग्रेस के जैसी राजनीतिक राष्ट्रीय संस्था का मार्गदर्शन किया, वह उनकी प्रवृत्ति पार्लियामेन्टरी स्वराज्य (Parliamentary Swarajya) के लिए ही थी।