-‘रश्क’ की ग़ज़लों में आह भी है और वाह भी, दर्दे-दुनिया भी है और वतने अज़ीज़ से बेपनाह मुहब्बत भी, दुख भी है और रोशनी का झ़माका भी, दिल में पाई जाने वाली खलिश भी है और मुहब्बत के जानलेवा दर्द का जिक्र भी, राकेश सूद ‘रश्क’ एक संज़ीदा शायर हैं।
पी.पी. मसीह
एडीटर इंचार्ज
दैनिक / वीकली ‘तेज’
राकेश सूद ‘रश्क’ की शायरी में प्यार, जज़्बात और दर्द का एक अनूठा संग्रह है जो इन्हें चुनिंदा शायरों में शुमार करता है। मैंने लगभग 50 से ज़्यादा शायरों की किताबें छापी हैं, यह किताब हमारे प्रकाशन के लिए एक नगीना है।
- नरेन्द्र कुमार वर्मा