यह पुस्तक उन दुर्लभ पुस्तकों से भी परिचय कराती है जो आज भी अपने समय को समझने में सुधि पाठकों की मदद करती है। यह पुस्तक हरदयाल म्यूनिसिपल हेरिटेज पब्लिक लाइब्रेरी के इतिहास और इससे जुड़े हुए अनेक पहलुओं का ऐसा प्रतिबिंब है जो आज हमारे सामने उपस्थित है।
इस प्राचीन पुस्तकालय का महत्व इस रूप में भी देखा जा सकता है कि पुस्तक पठन पाठन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस प्राचीन पुस्तकालय ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यहाँ पर पुरानी से पुरानी प्राचीन और दुर्लभ पुस्तकें आज भी जीवंत रूप में रखी हुई हैं जिनका रसास्वादन पाठक कर रहे हैं। वैसे तो भारत में पुस्तक आन्दोलन काफी पुराना माना जाता है लेकिन इस पुस्तकालय की भूमिका आधुनिक समय में किसी भी रूप में कम नहीं है। यह पुस्तक हरदयाल पुस्तकालय के इतिहास से ही हमें रूबरू नहीं कराती बल्कि उन क्रांतिकारियों से भी परिचय कराती है जिन्होंने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया, और जो किसी न किसी रूप से इस पुस्तकालय से सम्बन्ध रखते थे।