श्री स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेदान्त पर दिये गये भाषणों का संग्रह ‘ज्ञानयोग’ है । इन व्याख्यानों में श्री स्वामीजी ने वेदान्त के गूढ़ तत्त्वों की ऐसे सरल, स्पष्ट तथा सुन्दर रूप से विवेचना की है कि आजकल के शिक्षित जनसमुदाय को ये खूब जँच जाते हैं। उन्होंने यह दर्शाया है कि वैयक्तिक तथा सामुदायिक जीवन-गठन में वेदान्त किस प्रकार सहायक होता है। मनुष्य के विचारों का उच्चतम स्तर वेदान्त है और इसी की ओर संसार की समस्त विचारधाराएँ शनै: शनै: प्रवाहित हो रही हैं । अन्त में वे सब वेदान्त में ही लीन होंगी । स्वामीजी ने यह भी दर्शाया है कि मनुष्य के दैवी स्वरूप पर वेदान्त कितना जोर देता है और किस प्रकार इसी में समस्त विश्व की आशा, कल्याण एवं शान्ति निहित है।