हृदय प्रमुदित होता है-स्वामी ज्ञानभेद द्वारा प्रणीत ‘एक फक्कड़ मसीहा : ओशो’ का भाग-4 अवलोकित कर। यह उनके हृदय सरोवर में खिला ओशो प्रेम का अपूर्व कमल है। यह उनके हृदय का ओशो के प्रति अनुगृहीत उच्छ्वास है। स्वामी ज्ञानभेद प्रेम की मस्ती में विभोर हो मुग्ध भाव से परम सद्गुरु ओशो की जीवनगाथा गाये जा रहे हैं। उनमें धुन है, दीवानगी है।
इन -जीवनियों के माध्यम से पाठकों की मानसिकता का अनुगमन, अनुसरण हेतु प्रमुखता से संक्रमित किया जाता रहा है। जीवन चरित्र के माध्यम से करणीय, अकरणीय अनुकरणीय की शिक्षा दी जाती रही है