यह पुस्तक उनके भाषणों का एक संकलन है जिसमें कदम-कदम पर उनकी सोच-विचारधारा एवं दूरदर्शिता की संपुष्टि जान पड़ती है। निम्नलिखित पंक्तियां उनके सम्बन्ध में उल्लेखनीय हैं-
होके मायूस न यूं शाम से ढलते रहिए,
जिंदगी एक भोर है, सूरज से निकलते रहिए।
एक ठांव पर ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पर चलते रहिए।।