ये किताब हर उस शख्स के लिए है जो ख़ुश है, उसके लिए भी जो दुःखी है, नाराज है। उसके लिए भी है वो-वो ख़्वाब देखता है। जब-जब जैसा-जैसा महसूस किया वो लिखा। और मैं बहुत महान शख्सियत होने का दावा नहीं करती। इसलिए जो लिखा उससे आम आदमी बहुत राजी न हो तो नाराज़ भी नहीं होगा। उसे महसूस होगा कि ये बात मेरी अपनी है, ये शिकायत भी और ये ख़्वाब भी।