इस पुस्तक का उद्देश्य यह है कि हर पाठक, जो आज करोड़पति है आने वाले कल में वो निश्चित रूप से अरबपति बन जाए। आप कई बार अकेले बैठे होंगे, तो मन विचलित हो जाएगा, तनाव महसूस होने लगेगा, आकांक्षाएं उभरने लगेगी, विश्वास घटने लगेगा, कल्पना नहीं हो पाएगी कि क्या मैं भी अरबपति बन सकता हूँ? किंतु ऐसे विचार समय-समय पर आते रहें, तो आने दो पर जितनी जल्दी ऐसे विचार आए थे, उतनी जल्दी ही ऐसे विचारों को भगा भी दो और केवल एक लक्ष्य रखो कि मुझे अरबपति बनना है।