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Cricket : Sabse Bada Fraud Aur Moorkh Bante Log : क्रिकेट: सबसे बड़ा फ्रॉड और मूर्ख बनते लोग
Cricket : Sabse Bada Fraud Aur Moorkh Bante Log : क्रिकेट: सबसे बड़ा फ्रॉड और मूर्ख बनते लोग

Cricket : Sabse Bada Fraud Aur Moorkh Bante Log : क्रिकेट: सबसे बड़ा फ्रॉड और मूर्ख बनते लोग

By: Diamond Books
150.00

Single Issue

150.00

Single Issue

  • Fri Oct 14, 2016
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About Cricket : Sabse Bada Fraud Aur Moorkh Bante Log : क्रिकेट: सबसे बड़ा फ्रॉड और मूर्ख बनते लोग

इस पुस्तक का उद्देश्य किसी पर आक्षेप लगाना नहीं है। हां, इसका उद्देश्य दुनिया को कठोर सच्चाई से अवगत कराना अवश्य है ताकि आवश्यक प्रतिक्रिया हो एवं इस पर लगाम लग सके। इस पुस्तक के कुछ सनसनीखेज शीर्षक भी हो सकते थे, यथा- मीडिया सबसे बड़े घोटाले में सहयोगी, मीडिया का असली चेहरा, मैच फिक्सिंग संस्थागत है, विचित्र समाज, क्रिकेट और चालबाज़, सोया हुआ सर्वोच्च न्यायालय, बॉब वूलमर और सुनन्दा की हत्या क्यों हुई? ...आदि। किंतु मैं अनुभव करता हूं कि पुस्तक में चर्चाधीन विषय को देखते हुए वर्तमान शीर्षक सर्वाधिक उपयुक्त है। यह पुस्तक दुनिया को यह बताने और सिद्ध करने के लिए नहीं लिखी गई कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच-दर-मैच, एक नियत पटकथा पर अभिनीत नाटक है। ऐसा क्यों है और कैसे है? यह तो मेरे द्वारा पहले लिखी गई दो पुस्तकों- ‘बेटर्स बिवेयर (मैच फिक्सिंग इन क्रिकेट डिकोडेड)’ और ‘साख पर बट्टा’ (‘इनसाइड द बाउंड्री लाइन’ का हिन्दी अनुवाद) में स्पष्ट किया जा चुका है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पूर्ण व लगातार फिक्सिंग को न केवल स्कोर बुक्स और संभाव्यता के सिद्धांतों से वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया गया है, अपितु मीडिया तथा पुलिस रिपोर्टों के आधार पर, सभी मुख्य अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों और आईपीएल-6 की टीमों द्वारा खेले गए लगभग 100 लगातार मैचों के विश्लेषण और मई, 2013 में आईपीएल-6 के दौरान हुए श्रीसंत-चंदीला-चह्नाण प्रकरण से प्रकाश में आए तथ्यों की विवेचना से भी इसे सिद्ध किया गया है। ‘बेटर्स बिवेयर’ में किए गए स्पष्ट खुलासों और प्रमाणों को आजतक कोई चुनौती नहीं दे पाया है, जबकि क्रिकेट सत्ताधारियों को उन्हें चुनौती देने के लिए ललकारा गया था। उन्हें इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि जब उनका सत्य से सामना हुआ तो वे समझ गए। उन्होंने वही किया, जो एकमात्र विकल्प उनके पास था यानी उपेक्षा करना। चूंकि इस धोखाधड़ी के अभियान में मीडिया उन्हीं का पक्षधर था, इसलिए आज तक उनके लिए उपेक्षा करना कठिन नहीं रहा। भारत में शासन के सभी अंगों ने इस ओर से अपनी आंखें मूंदे रहने में ही अपना कल्याण समझा। स्वार्थरक्षा और सुविधा- ये ही उनकी प्रेरक शक्तियां रही हैं। दूसरी तरफ एक अनुभवी खेल संपादक ने ‘बेटर्स बिवेयर (सटोरियों सावधान)’ पुस्तक की सराहना की है।