इस पुस्तक का उद्देश्य ना तो शिक्षण देना है और ना किसी को कायल करना। तथापि जो कुछ भी प्रस्तुत किया गया है वह आध्यात्मिक विकास के चुनिंदा पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए पर्याप्त है। यह पुस्तक संबुद्ध रहस्यदर्शी और विराट साहित्य–सर्जक ओशो के द्वारा सृजित विविध ध्यान-विधियों को प्रस्तुत करती है और ओशो की सर्वांगीण दृष्टि इस पुस्तक के लिए एक संजीवनी है।
इस भांति इस पुस्तक का उद्देश्य न तो शिक्षण देना है और न ही किसी को कायल करना। जो भी मैंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में सीखा और जो भी व्यक्तिगत विकास में सहायक सिद्ध हुए यह वस्तुत: उन अनुभवों को आपके साथ बांटना भर है। सब कुछ यहां प्रकट करने की मेरी आकांक्षा नहीं है और न ही मेरी कोई आकांक्षा प्रत्येक विवरण देने की है-तथापि जो कुछ भी प्रस्तुत किया गया है वह आध्यात्मिक विकास के चुनिंदा पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए पर्याप्त है।
स्वामी सत्यवेदांत