बैडमिंटन की दुनिया की सरताज साइना नेहवाल किसी परिचय की मोहताज नहीं है। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी साइना ने दुनिया की नंबर—वन खिलाड़ी बनने का जो सपना देखा था, वह अप्रैल, 2015 में पूरा हो गया। दुनिया की तमाम बड़ी प्रतियोगिताएं जीतने वाली साइना नेहवाल वैसे तो ओलंपिक पदक भी जीत चुकी हैं, लेकिन अगले वर्ष होने वाले रियो ओलंपिक के लिए भी वह बहुत गंभीर है।
साइना नेहवाल को यहां तक पहुंचने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी है। पिता ने कर्ज लेकर इन्हें खिलाड़ी बनाया है। साथ ही उनकी मेहनत, लगन, कर्त्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। आज साइना को इतनी ऊचाई पर देखकर हर भारतीय गौरवांवित महसूस करता है।
पुस्तक के लेखक राजशेखर मिश्र 1983 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब तक करीब तीन दर्जन पुस्तकें लिख चुके श्री मिश्र 'दैनिक जागरण', 'रविवार’, 'संडे ऑब्जर्वर’, 'स्वतंत्र भारत’ और 'अमर उजाला’ में भी काम कर चुके हैं। संप्रति वह 'आज समाज’ में एसोसिएट संपादक के रूप में काम कर रहे हैं...