प्रदीप की हास्य रचनाओं की सबसे बड़ी खूबी है की आपको हर तीसरी पंक्ति में ठहाका जरूर मिलेगा। कविता में बातचीत और बातचीत में कविता का रसीलापन उससे सहज ही प्राप्त है , वह बोलता रहेगा और आप हंसते ही रहेंगे, उसकी 'रेलयात्रा' हो या 'शवयात्रा' दोनों पर मैंने सामान रूप से ठहाके और तालियां देखी है, हास्य और व्यंग दोनों पर उसका सामान अधिकार काबिले दाद है।