देश में इन्कम टैक्स चुकाने वाले वेतनभोगी लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। उनमें से अधिकतर लोग यह समझते हैं कि टैक्स प्लानिंग का दायरा, जो कि उनके टैक्स के भार को कानूनी और विधिवत् रूप से कम कर सकता है, अत्यंत सीमित है। लेकिन यह सच नहीं है! बल्कि इसके विपरीत, सच यह है कि एक वेतनभोगी इन्कम टैक्स अदाकर्ता अनुलाभों और कुछ अन्य विशेष भत्तों की समझदारी से टैक्स प्लानिंग करके कानूनी तरीके से बड़ी मात्रा में इन्कम टैक्स बचा सकता है और वह भी इतना कि कुछ मामलों में अदा किए जाने वाले इन्कम टैक्स को 50% तक कम किया जा सकता है; तो कुछ मामलों में यह बिल्कुल शून्य भी किया जा सकता है कि उसे चुकाने की जरूरत ही न पड़े क्योंकि विभिन्न अधिसूचनाओं एवं इनकम टैक्स नियमों द्वारा विभिन्न अनुलाभों व भत्तों को प्रदान की गई टैक्स छूट के माध्यम से ऐसा करना संभव है। किंतु इसके लिए उन सभी वेतनभोगियों को सभी अनुलाभों से संबंधित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी होना अनिवार्य है जिनमें निदेशक मुख्य कार्यकारी, वरिष्ठ कार्यपालक/अधिकारीगण, कनिष्ठ कार्यपालक अधिकारीगण तथा समस्त कर्मचारी व कामगार शामिल हैं और यही बताना इस पुस्तक का उद्देश्य हैं।