इस पुस्तक में उन गंभीर सच्चाइयों का उद्घाटन किया गया है जिन्हें यदि सहज और सरल ढंग से अपनाते हुए सकारात्मक रूप में लिया जाए तो अनायास ही दुख को सुख में, गम को खुशी में और कड़वाहट को मधुरता में बदला जा सकता है । इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें न तो किसी को अपमानित किया जाता है और न ही किसी से अपमानित होना पड़ता है । इसमें किसी की हार-जीत नहीं, बल्कि सभी के लिए केवल जीत-ही-जीत है और यही 'जीत' हर बाल युवा वृद्ध एवं नर-नारी की आत्मा के लिए अमृत का काम करती है ।