शिरीन एबादी - तूफानों से घिरी हुई दीपस्तंभ-सी जिंदगी । उम्र के तेईसवें साल में वह जज बनीं, पर राजनीतिक तख़्तापलट के बाद सता में आये उनके अपने क्रान्तिकारी सहयोगियों ने सिर्फ़ एक फ़तवे से उनकी जजशिप छीन ली और उन्हें क्लर्क बना दिया पर शिरीन एबादी ने हार नहीं मानी - मानवाधिकार के बचाव के लिए उन्होंने जंग छेड़ दी और कट्टरपंथी सरकार के अन्यायकारी लंबे हाथ और आम जनता के बीच वह दीवार बनकर खड़ी हुईं । जीवंत देशप्रेम और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता उनकी ज़िंदगी के प्रेरणास्रोत रहे हैं ।
नोबेल पुरस्कार उनके काम की इतिश्री नहीं - बल्कि बढ़ते सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है । अपनी जान की बाज़ी लगाकर ईरानियों को स्वाभिमान और न्याय के लिए प्रेरित करने वाली शिरीन एबादी अपनी और ईरान की कहानी दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रही हैं । ईरान को जाने, सच्चे इस्लाम को जाने, और धर्म के नाम पर होने वाले ख़तरनाक खिलवाड़ से दुनिया को बचायें - यही उनका संदेश है ।
इस किताब से आप अछूते नहीं रह पायेंगे ।