निमाई भट्टाचार्य मूलतः बांग्ला उपन्यासकार हैं जिनके उपन्यासों का अनुवाद हिन्दी में भी हुआ है । सोनागाछी की चंपा अट्ठारह वर्ष की लड़की और देवर-भाभी के बाद राग असावरी डायमंड बुक्स में उनकी चौथी कृति है जिसका मूल बांग्ला रचना 'राग आशावरी ' से अनुवाद रेनूका रॉय ने किया है । प्रस्तुत उपन्यास का कथानक हम सभी के दिन-प्रतिदिन के जीवन से प्रेरित लिए हुए है । लेखक के ही शब्दों में-
''बहुत दिनों के बाद
मन के इंसान
जैसे कोई आया
कोई भूली हुई
वसन्त ऋतु से । ''