रीतिकालीन कवियों में रसखान की अलग पहचान रही है। उन्होंने अपनी खास, शैली में सोरठा, सवैया, कवित्त आदि की रचना को है जो खूब लोकप्रिय हुआ। रसखान के हृदय के भाव 'प्रेमवाटिका' मैं बखूबी दिखते हैं। रसखान भले ही मुस्लिम थे किंतु उनकी हिन्दू धर्म में गहरी आस्था थी। उन्होंने अपने को भगवान कृष्ण को भक्ति में डूबो दिया रसखान का पहनावा भी वैष्णव भक्तों जैसा था जिसके गले में कंठीमाला लटकी रहती थी। इस कारण मुसलमान उनसे नाराज रहते थे। इससे बेपरवाह रसखान ने अपनी काव्य रचना को प्रेम का नया स्वरूप प्रदान किया उनकी रचनाएं रस से सराबोर हैं।
भक्ति रस को उनकी काव्य रचनाओं के नायक कृष्ण और राधिका राधा हैं। इस संकलन में रसखान की काव्य रचनाओं को बहुत सरल और स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसे पढ़कर पाठक भक्तिभाव, प्रेमभाव और श्रृंगार रस में डूब जाता है। यहीं कारण है कि इस पुस्तक की आज भी प्रासंगिकता बनो हुईं है।