समकालीन उर्दू शायरी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर जाँनिसार अख़्तर तरक्की पसन्द तहरीक के उन्नायकों में से हैं ।
ये इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
जैसा लोकप्रिय शे’र कहने वाले जाँनिसार अख़्तर की शायरी में जहाँ श्रृंगार के दोनों पक्ष कला की ऊँचाइयों को छूते हैं, वहीं उनकी शायरी में आम आदमी के संघर्ष, दुख-दर्द और तनहाई की भी जीवंत और मार्मिक अभिव्यक्ति मिलती है ।
जाँनिसार अख़्तर की ग़ज़लों, नज़्मों और रुबाइयों का हिन्दी में प्रतिनिधि और अपूर्व संकलन ।