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घर और बाहर
घर और बाहर

घर और बाहर

By: Diamond Books
150.00

Single Issue

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Single Issue

  • Tue Jun 25, 2019
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About घर और बाहर

राष्ट्रगान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रवाद के पारंपरिक ढांचे के लेखक नहीं थे। वे वैश्विक समानता और एकांतिकता के पक्षधर थे। ब्रह्मसमाजी होने के बावजूद उनका दर्शन एक अकेले व्यक्ति को समर्पित रहा। चाहे उनकी ज्यादातर रचनाएं बांग्ला में लिखी हुई हों, मगर उन्हें इस आधार पर किसी भाषिक चौखटे में बांधकर नहीं देखा जा सकता। न ही प्रांतवाद की चुन्नट में कसा जाना चाहिए। वह एक ऐसे लोक कवि थे जिनका केन्द्रीय तत्व अंतिम आदमी की भावनाओं का परिष्कार करना था। वह मनुष्य मात्र के स्पन्दन के कवि थे। एक ऐसे कलाकार जिनकी रंगों में शाश्वत प्रेम की गहरी अनुभूति है, एक ऐसा नाटककार जिसके रंगमंच पर सिर्फ ‘ट्रेजडी’ ही जिंदा नहीं है, मनुष्य की गहरी जिजीविषा भी है। एक ऐसा कथाकार जो अपने आस-पास से कथालोक चुनता है, बुनता है, सिर्फ इसलिए नहीं कि घनीभूत पीड़ा के आवृत्ति करे या उसे ही अनावृत्त करे, बल्कि उस कथालोक में वह आदमी के अंतिम गंतव्य की तलाश भी करता है। वर्तमान की गवेषणा, तर्क और स्थितियों के प्रति रविन्द्रनाथ सदैव सजग रहे हैं। इसी वजह से वह मानते रहे कि सिर्फ आर्थिक उपलब्धियों और जैविक जरूरतें मनुष्य को ठीक स्पंदन नहीं देते। मौलिक सुविधाओं के बाद मनुष्य को चाहिए कि वह सोचे कि इसके बाद क्या है। उत्पादन, उत्पाद और उपभोग की निस्संगता के बाद भी ‘कुछ है जो पहुंच के पार है’। यही कारण है कि रवीन्द्र क्षैतिजी आकांक्षा के लेखक है।