अधूरे इंद्रधनुष बत्तीस कहानियों कहानियों का एक संग्रह है । जो स्त्रीपुरुष संबंध और अध्यात्म के इर्दगिर्द घूमती है । इन कहानियों की मुख्य विशेषता है कि इसके पात्र अपनी बात स्वयं कहते हैं जहां कह नहीं पाते उसकी पूर्ति लेखक कर देता है । किंतु दोनों स्थितियों में अंतर नजर आता है । जहां लेखक कहने का दृष्टिकोण मानी जाती है । किन्तु जहां ये कार्य कोई पात्र करता है इसे पात्र का दृष्टिकोण माना जाता है । इन कहानियों का स्वरूप परंपरागत होते हुए भी विशिष्ट है।