'जोरबा द बुद्धा' यानी कि भौतिकता के माध्यम से आध्यात्मिकता के शिखर पर पहुँचना। यह ओशो के विचारों के केन्द्र में रहा है। तभी तो ओशो भोग से समाधि तक पहुँचने की बात कहते हैं, और डंके की चोट पर पूरे साहस तथा अकाट्य तर्कों के साथ कहते हैं।इस पुस्तक में ओशो के भोग से समाधि तक की यात्रा के मुख्य चार पड़ावों संबंधी बुनियादी विचारों को प्रस्तुत किया गया है। ये चार पड़ाव हैं--नारी-प्रेम-काम, एवं-समाधि।यानी कि यहाँ आप जीवन को सम्पूर्णता के साथ जीने संबंधी ओशो के खूबसूरत, रोचक और दिमाग की बंद खिड़कियों को धक्का देकर उन्हें खोल देने वाले नये-नये विचारों को जान सकेंगे।