क्या आप मानते हैं कि दूसरों की ज़िन्दगी के अनुभव और घटनाएं आपके लिए बेशकीमती हो सकतीं हैं? यदि हाँ, तो यकीनन यह किताब आपके लिए बेशकीमती साबित होगी। इस पुस्तक ‘खुशहाल जीवन के मंत्र’ की रेंज में आप सामान्य-व्यवहार से लेकर आध्यात्मिकता की ऊँचाई तक का रसास्वादन कर सकेंगे। ‘मानों तो भगवान, नहीं तो पत्थर।’ मानों तो मंत्र, नहीं तो महज़ शब्दों का जाल। यानी कि यह आपके ऊपर है कि आप इन छोटी-छोटी सच्ची कहानियों को लेते कैसे हैं। लेखक ने तो इन्हें ‘खुशहाल जीवन के मंत्र’ के रूप में लिया है। रोजाना एक मंत्र का पाठ और 85 दिनों बाद ज़िन्दगी कुछ और ही, ज़ाहिर है कि पहले से बेहतर।