logo

Get Latest Updates

Stay updated with our instant notification.

logo
logo
account_circle Login
Upender nath Ashq ke upnayaso ka anusheelan उपेन्दर नाथ अश्क के उपन्यासो का अनुशीलन
Upender nath Ashq ke upnayaso ka anusheelan उपेन्दर नाथ अश्क के उपन्यासो का अनुशीलन

Upender nath Ashq ke upnayaso ka anusheelan उपेन्दर नाथ अश्क के उपन्यासो का अनुशीलन

By: ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )
175.00

Single Issue

175.00

Single Issue

About this issue

डॉ. जयंतिलाल पटेल के शीघ्र प्रकाश्य शोध-प्रबंध की 'भूमिका' को यह शीर्षक साभिप्राय, सटीक व सार्थक इसलिए है कि शोध-प्रबंध प्रेमचन्द्रोत्तरकाल के एक सशक्त हस्ताक्षर उपेन्द्रनाथ अश्क के उपन्यासों से सम्बद्ध है। जयंतिलाल पटेल अब सचमुच में 'डात्व' को प्राप्त हुए हैं, क्योंकि पी-एच.डी. हिन्दी में तो कई कर लेते हैं, पर मेरे हिसाब से सही और सच्ची पी-एच.डी./पी-एच.डी. विथ फर्स्ट क्लास विथ डिस्टिंक्शन/तो उसे कहा जाना चाहिए जो प्रकाशित होती है। यह सचमुच में अश्क़जी के उपन्यासों का अनुशीलन है। 'अध्ययन' और 'अनुशीलन' में अंतर यह है कि उसमें किसी कृति या कृतिकार का सर्वांगी अध्ययन होता है। ऐसा अध्ययन बहुआयामी होता है।
कई अनछाने आयामों को छानने का यहां सैनिष्ठ प्रयास होता है। एक किसान के बेटे द्वारा यह एक दूसरे किसान की खेती को
लहलहाते दिखाने का रचनात्मक आनंद है। कार्य जब आनंद हो जाए तो भयो भयो कहने का मन होता है। अक्षरों की खेती,
विचारों की खेती की जब बात आती है तो सहज ही ऐसे दूसरे शब्दों के काश्तकार की स्मृति जहन में उभरने लगती है। 

About Upender nath Ashq ke upnayaso ka anusheelan उपेन्दर नाथ अश्क के उपन्यासो का अनुशीलन

डॉ. जयंतिलाल पटेल के शीघ्र प्रकाश्य शोध-प्रबंध की 'भूमिका' को यह शीर्षक साभिप्राय, सटीक व सार्थक इसलिए है कि शोध-प्रबंध प्रेमचन्द्रोत्तरकाल के एक सशक्त हस्ताक्षर उपेन्द्रनाथ अश्क के उपन्यासों से सम्बद्ध है। जयंतिलाल पटेल अब सचमुच में 'डात्व' को प्राप्त हुए हैं, क्योंकि पी-एच.डी. हिन्दी में तो कई कर लेते हैं, पर मेरे हिसाब से सही और सच्ची पी-एच.डी./पी-एच.डी. विथ फर्स्ट क्लास विथ डिस्टिंक्शन/तो उसे कहा जाना चाहिए जो प्रकाशित होती है। यह सचमुच में अश्क़जी के उपन्यासों का अनुशीलन है। 'अध्ययन' और 'अनुशीलन' में अंतर यह है कि उसमें किसी कृति या कृतिकार का सर्वांगी अध्ययन होता है। ऐसा अध्ययन बहुआयामी होता है।
कई अनछाने आयामों को छानने का यहां सैनिष्ठ प्रयास होता है। एक किसान के बेटे द्वारा यह एक दूसरे किसान की खेती को
लहलहाते दिखाने का रचनात्मक आनंद है। कार्य जब आनंद हो जाए तो भयो भयो कहने का मन होता है। अक्षरों की खेती,
विचारों की खेती की जब बात आती है तो सहज ही ऐसे दूसरे शब्दों के काश्तकार की स्मृति जहन में उभरने लगती है।