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Tennis Sundri
Tennis Sundri

About this issue

आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा का व्यक्तित्व अद्भुत था, बहुआयामी था, बहुवर्णी था, बहुपक्षीय था। वे बिहार विश्वविद्यालय के एम. जे. के. कॉलेज बेतिया (M.J.K. College, Bettiah) में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष थे। एम. जे. के. कॉलेज बेतिया को अंगीभूत बनाने में रवीन्द्रनाथ ओझा की ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण भूमिका रही - शिक्षक
संघ के सचिव रहते हुए ओझा जी को आमरण भूख हड़ताल पर भी जाना पड़ा था। ओझा जी ने शिक्षकों और विद्यार्थियों के कल्याणार्थ अनेक बार भूख हड़ताल किया। ये तो सर्वविदित है कि जे. पी. आन्दोलन में सक्रियता के चलते उन्हें मीसा (MISA) में भी गिरफ्तार किया गया। ओझा जी ट्रेड यूनियनिस्ट भी रहे हैं। और यही नहीं। आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा एक आदर्श, निष्पक्ष एवं निर्भय शिक्षक के साथ साथ एक प्रसिद्ध साहित्यकार-रचनाकार भी रहे हैं, कवि भी, समालोचक-समीक्षक भी, चर्चित पत्र-लेखक भी - एक लब्धप्रतिष्ठित ललित निबंधकार भी। और हाँ एक अत्यंत प्रभावशाली वक्ता भी। आपको मैं ये भी बताना चाहूँगा कि ओझा जी एक सफल निर्देशक भी थे। 

About Tennis Sundri

साठ के दशक के प्रारम्भ में आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय, बेतिया के क्रीड़ा-विभाग के अध्यक्ष भी रहे थे और साथ ही कॉलेज की फुटबॉल टीम के एक खिलाड़ी भी। बाहर की कई प्रतियोगिताओं में ओझा जी ने प्रतिनिधित्व भी किया। किन्तु कुछ साल बाद उनकी अभिरुचि में परिवर्तन हुआ और वे लॉन टेनिस के बहुत ही अच्छे खिलाड़ी के रूप में चर्चित हो गए। लॉन टेनिस के प्रति उनका आकर्षण इतना बढ़ा कि उसको वे एक सुन्दरी के रूप में देखने लगे और उस पर एक अत्यंत रोचक-रुचिकर ललित निबंध 'टेनिस-सुन्दरी' लिख डाला जो अति चर्चित व प्रशंसित हुआ। ऐसा कहा जाता है कि ओझा जी क्लास में पढ़ाने तथा टेनिस खेलने में कभी भी अवकाश नहीं लेते थे
- इसीलिए उन्हें Tennis Edict भी कहा जाने लगा। अब आपको स्पष्ट हो गया होगा कि इस पुस्तक का नाम 'टेनिस-सुन्दरी' क्यों रखा गया है? यह निबंध इस पुस्तक का एक विशेष निबंध है।
'विप्राः बहुधा वदन्ति' पुस्तक के एक प्रसंग में उस समय के एक आई.ए.एस अधिकारी श्री जे. एस. बरारा का वक्तव्य उद्धत है जिसमें  वे कहते हैं, "ओझा जी विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं जो धोती पहनकर भी इतना अच्छा टेनिस खेल सकते है। यह टेनिस का भारतीयकरण है।"
इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में एक रोचक निबंध 'के. आर. स्कूल' पर भी है जिसके प्रांगण पर आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा मुग्ध रहे हैं, मोहित रहे हैं और तभी तो उन्होंने इस स्कूल पर भी अपनी लेखनी चला दी। संयोग से इस स्कूल के प्रांगण में ही वह हार्ड कोर्ट है जहाँ ओझा जी टेनिस खेलने प्रायः जाया करते थे। बेतिया का के. आर. हाई स्कूल उत्तर बिहार के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से एक है जहां से मैंने भी पढ़ाई की है और मेरा छोटा भाई संजय कुमार ओझा ने भी जो भारतीय वन सेवा का उच्चाधिकारी है।