ग़ज़ल गुरू श्री विजय कुमार स्वर्णकार जी को विशेष धन्यवाद, जिन्होंने ग़ज़लों के अपने अभूतपूर्व ज्ञान को मुझसे साझा किया और इस पुस्तक की कमियों को दूर करने में अपना अमूल्य योगदान दिया । जीवनसंगिनी मोनिका व मेरी बगिया के पुष्पों अध्ययन और प्रज्ञान का सहृदय आभार जो कई रचनाओं की प्रेरणा रहें तथा जिनके हिस्से का समय मैंने इस पुस्तक को दिया। उन सभी मित्रों का विशेष आभार, जिनका लगातार उत्साहवर्धन करते रहना, हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करता रहा और मेरा लेखन " तमन्नाओं की तासीर" के रूप में आपके सम्मुख प्रस्तुत हो सका।
ग़ज़ल गुरू श्री विजय कुमार स्वर्णकार जी को विशेष धन्यवाद, जिन्होंने ग़ज़लों के अपने अभूतपूर्व ज्ञान को मुझसे साझा किया और इस पुस्तक की कमियों को दूर करने में अपना अमूल्य योगदान दिया । जीवनसंगिनी मोनिका व मेरी बगिया के पुष्पों अध्ययन और प्रज्ञान का सहृदय आभार जो कई रचनाओं की प्रेरणा रहें तथा जिनके हिस्से का समय मैंने इस पुस्तक को दिया। उन सभी मित्रों का विशेष आभार, जिनका लगातार उत्साहवर्धन करते रहना, हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करता रहा और मेरा लेखन " तमन्नाओं की तासीर" के रूप में आपके सम्मुख प्रस्तुत हो सका।