सम्पूर्ण एवं गुणात्मक शिक्षा की विस्तृत एवं गहन खोज ही प्रोफेसर (का) मुल्क राज चिलाना का पिछले 60 वर्षों से मुख्य कार्य रहा है। व्यक्ति का पूर्ण विकास तथा उस से समाज की प्रगति शिक्षा के दो मुख्य उद्देश्य है। इस धारणा को निरन्तर ध्यान में रख लेखक ने परम्पराओं की अमूल्य निधि एवं वर्तमान प्रगति को परस्पर विरोधी नहीं मान कर उन का समन्वय कर कुछ सूत्रों का विकास किया है। शिक्षा सुधार में इन के सही क्रियान्वयन से उपलब्धि निश्चित है। उन के विचार में सर्वप्रथम किसी भी संस्थान में शिक्षा से सम्बंधित सभी सदस्यों को, और विशेषकर समी अध्यापकों को गुणात्मक शिक्षा के व्यवहारिक पक्षों को समझाना बहुत जरूरी है। मूल्यों की शिक्षा पर लेखक ने बहुत बल दिया है और उसे व्यक्ति और समाज के सभी समस्याओं का समाधान कहा है। प्रोफेसर चिलाना तकनीकी विकास के सहयोग से शैक्षिक उत्थान के नए दौर की कल्पना करते हैं। कप्यूटर का प्रवेश तथा संचार की दुनियां में इन्टरनेट की धूम से ग्लोबलाईजेशन का स्वान उन्हें पूरा होता दिखाई देता है। उन की संकल्पना में प्रत्येक स्कूल में "Research and Development Centre" का होना तथा "Modern Management Techniques' से शिक्षक का Facilitator बनना आवश्यक है। प्रलोक शिक्षक Counsellor के रोल में विकसित हो तथा Parent Education का काम भी स्कूल सम्भाले। इन दिशाओं में कार्य करने के लिए Institutional Planning तथा
निरंतर शिक्षक विकास पर उन्हों ने बहुत बल दिया है। प्रोफैसर चिलाना के अनुसार यदि कोई एक कार्य शिक्षा में आवश्यक है तो यह है 'मूल्य आधारित शिक्षा के लिए अध्यापकों का शाला स्तर पर निरन्तर व्यवसायिक विकास' प्रोफेसर चिलाना को शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षिक अनुसन्धान सेवारत अध्यापकों के लिए प्रसार सेवा तथा विकास एवं नूतन पद्धतियों के चयन एवं प्रचार के लिए देश-विदेश में अनूठे अवसर मिले। उत्तरी
एवं दक्षिणी अमरीका, एशिया, यूरोप तथा आशीका को कई देशों में Visiting Professor रहने के अतिरिक्त भारत में N.C.E.R.T. प्रोफेसर आफ एजुकेशन तथा क्षेत्रीय सलाहकार तथा केन्द्रीय शिक्षा मन्त्रालय में उप-शिक्षा सलाहकार रहे हैं। वर्तमान में जिन संस्थानों में प्रोफैसर चिलाना आचार्य एवं अध्यक्ष के रूप में मार्गदर्शन कर रहे हैं, उन में मुख्य है. मूल्य-शिक्षण केन्द्रः शिक्षक विकास बिन्दु एवं व्यक्तिगत विकास न्यास। लेखक की 500 से
अधिक प्रकाशित कृतियां हैं। इस वर्ष की पांच पुस्तकों का उल्लेख इस प्रकाशन में हुआ है। लेखक युनैस्को में दो वर्ष तक Project Fellow तथा Senior Reserach Fellow रहे। Commonwealth Fellowship ने उन्हें विकसित देशों में शिक्षा से संबंधित अत्यन्त लाभकारी अनुभव प्राप्त करने में सहायता की। प्रोफैसर एम. आर. चिलाना अभी भी
School of Practical Philosophy Johannesburg, South Africa एवं कई अन्य देश विदेश के संस्थानों में Consultant का कार्य भार संभाले हुए हैं।
सम्पूर्ण एवं गुणात्मक शिक्षा की विस्तृत एवं गहन खोज ही प्रोफेसर (का) मुल्क राज चिलाना का पिछले 60 वर्षों से मुख्य कार्य रहा है। व्यक्ति का पूर्ण विकास तथा उस से समाज की प्रगति शिक्षा के दो मुख्य उद्देश्य है। इस धारणा को निरन्तर ध्यान में रख लेखक ने परम्पराओं की अमूल्य निधि एवं वर्तमान प्रगति को परस्पर विरोधी नहीं मान कर उन का समन्वय कर कुछ सूत्रों का विकास किया है। शिक्षा सुधार में इन के सही क्रियान्वयन से उपलब्धि निश्चित है। उन के विचार में सर्वप्रथम किसी भी संस्थान में शिक्षा से सम्बंधित सभी सदस्यों को, और विशेषकर समी अध्यापकों को गुणात्मक शिक्षा के व्यवहारिक पक्षों को समझाना बहुत जरूरी है। मूल्यों की शिक्षा पर लेखक ने बहुत बल दिया है और उसे व्यक्ति और समाज के सभी समस्याओं का समाधान कहा है। प्रोफेसर चिलाना तकनीकी विकास के सहयोग से शैक्षिक उत्थान के नए दौर की कल्पना करते हैं। कप्यूटर का प्रवेश तथा संचार की दुनियां में इन्टरनेट की धूम से ग्लोबलाईजेशन का स्वान उन्हें पूरा होता दिखाई देता है। उन की संकल्पना में प्रत्येक स्कूल में "Research and Development Centre" का होना तथा "Modern Management Techniques' से शिक्षक का Facilitator बनना आवश्यक है। प्रलोक शिक्षक Counsellor के रोल में विकसित हो तथा Parent Education का काम भी स्कूल सम्भाले। इन दिशाओं में कार्य करने के लिए Institutional Planning तथा
निरंतर शिक्षक विकास पर उन्हों ने बहुत बल दिया है। प्रोफैसर चिलाना के अनुसार यदि कोई एक कार्य शिक्षा में आवश्यक है तो यह है 'मूल्य आधारित शिक्षा के लिए अध्यापकों का शाला स्तर पर निरन्तर व्यवसायिक विकास' प्रोफेसर चिलाना को शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षिक अनुसन्धान सेवारत अध्यापकों के लिए प्रसार सेवा तथा विकास एवं नूतन पद्धतियों के चयन एवं प्रचार के लिए देश-विदेश में अनूठे अवसर मिले। उत्तरी
एवं दक्षिणी अमरीका, एशिया, यूरोप तथा आशीका को कई देशों में Visiting Professor रहने के अतिरिक्त भारत में N.C.E.R.T. प्रोफेसर आफ एजुकेशन तथा क्षेत्रीय सलाहकार तथा केन्द्रीय शिक्षा मन्त्रालय में उप-शिक्षा सलाहकार रहे हैं। वर्तमान में जिन संस्थानों में प्रोफैसर चिलाना आचार्य एवं अध्यक्ष के रूप में मार्गदर्शन कर रहे हैं, उन में मुख्य है. मूल्य-शिक्षण केन्द्रः शिक्षक विकास बिन्दु एवं व्यक्तिगत विकास न्यास। लेखक की 500 से
अधिक प्रकाशित कृतियां हैं। इस वर्ष की पांच पुस्तकों का उल्लेख इस प्रकाशन में हुआ है। लेखक युनैस्को में दो वर्ष तक Project Fellow तथा Senior Reserach Fellow रहे। Commonwealth Fellowship ने उन्हें विकसित देशों में शिक्षा से संबंधित अत्यन्त लाभकारी अनुभव प्राप्त करने में सहायता की। प्रोफैसर एम. आर. चिलाना अभी भी
School of Practical Philosophy Johannesburg, South Africa एवं कई अन्य देश विदेश के संस्थानों में Consultant का कार्य भार संभाले हुए हैं।