मौसम और भौगोलिक दूरत्व की वजह से असममिया खाना देश के दूसरे प्रांतों से बिलकुल अलग है । यहाँ के व्यंजन, यहाँ पर मौसम अनुयायी उगने वाली सब्जी और सागों पर आधारित है । स्वास्थ्य के लिए असमिया खाना बहुत ही फायदेमंद है चूंकि व्यंजनों को भाप में पकाकर अथवा उबालकर या सूखा भूनकर पकाया जाता है । इस प्रकार खाद्य गुण नष्ट नहीं होते । डॉ– रुनू बरुवा हिन्दी साहित्य की एक उभरती साहित्यकार हैं जिनकी मातृभाषा असमिया है । अपनी पुस्तक ‘असम के शाकाहारी व्यंजन और रीति रिवाज’ में डॉ– बरुवा ने पूरी चेष्टा की है यहाँ की पारम्परिक व्यंजन वि/िायों को सही तरीके से प्रस्तुत करने की । इनकी एक के बाद एक बड़े सरल तरीके से पकाने की वि/िा नौसिखिए को भी आत्मविश्वास से पकाने में समर्थ करेगी । साथ ही हिन्दी में असमिया पारम्परिक पाकशास्त्र को लोकप्रिय करने की इनकी यह चेष्टा प्रशंसनीय है । मेरी जानकारी में असमिया व्यंजनों पर हिन्दी में यह पहली रं/ान पुस्तक है असम के शाकाहारी व्यंजन––– इसके साथ ही, यहाँ के रीति–रिवाज, उत्सव, शादी–ब्याह आदि पर लिखकर पुस्तक को और भी रोचक बनाया है । यह किताब हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट के छात्र एवं फूड साइन्स के अन्वेषकों के लिए रेफरेंस पुस्तक हो सकती है । मैं आशा करती हूँ कि इस किताब को पूरे भारत में बड़ी पब्लिसिटी और स्वीकृति मिलेगी । मैं आशा करती हूँ कि डॉ– बरुवा असमिया संस्कृति और परम्परा को लोगों के समक्ष लाने में अपना यह प्रयत्न जारी रखेगीं । भविष्य में उनके दूसरे लेखन कार्य की सफलता लिए कामना करती हूँ ।
मौसम और भौगोलिक दूरत्व की वजह से असममिया खाना देश के दूसरे प्रांतों से बिलकुल अलग है । यहाँ के व्यंजन, यहाँ पर मौसम अनुयायी उगने वाली सब्जी और सागों पर आधारित है । स्वास्थ्य के लिए असमिया खाना बहुत ही फायदेमंद है चूंकि व्यंजनों को भाप में पकाकर अथवा उबालकर या सूखा भूनकर पकाया जाता है । इस प्रकार खाद्य गुण नष्ट नहीं होते । डॉ– रुनू बरुवा हिन्दी साहित्य की एक उभरती साहित्यकार हैं जिनकी मातृभाषा असमिया है । अपनी पुस्तक ‘असम के शाकाहारी व्यंजन और रीति रिवाज’ में डॉ– बरुवा ने पूरी चेष्टा की है यहाँ की पारम्परिक व्यंजन वि/िायों को सही तरीके से प्रस्तुत करने की । इनकी एक के बाद एक बड़े सरल तरीके से पकाने की वि/िा नौसिखिए को भी आत्मविश्वास से पकाने में समर्थ करेगी । साथ ही हिन्दी में असमिया पारम्परिक पाकशास्त्र को लोकप्रिय करने की इनकी यह चेष्टा प्रशंसनीय है । मेरी जानकारी में असमिया व्यंजनों पर हिन्दी में यह पहली रं/ान पुस्तक है असम के शाकाहारी व्यंजन––– इसके साथ ही, यहाँ के रीति–रिवाज, उत्सव, शादी–ब्याह आदि पर लिखकर पुस्तक को और भी रोचक बनाया है । यह किताब हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट के छात्र एवं फूड साइन्स के अन्वेषकों के लिए रेफरेंस पुस्तक हो सकती है । मैं आशा करती हूँ कि इस किताब को पूरे भारत में बड़ी पब्लिसिटी और स्वीकृति मिलेगी । मैं आशा करती हूँ कि डॉ– बरुवा असमिया संस्कृति और परम्परा को लोगों के समक्ष लाने में अपना यह प्रयत्न जारी रखेगीं । भविष्य में उनके दूसरे लेखन कार्य की सफलता लिए कामना करती हूँ ।