जीवन का कथानक किसी फिल्मी कहानी की तरह नहीं होता जो कल्पना के पंख पहन नभ में विचरण करे । जिन्दगी का सच तो, धरातल का वह आयाम है जो पाताल सी गहराई लिए कभी भयाक्रांत करता है तो कभी पाताल के सुन्दर चित्रण को परिभाषित करता है । दोनों बच्चे प्रतिभा के बेड के पास गुमसुम से खड़े थे । मुझे देखते ही डाक्टर ने इशारे से मुझे बता दिया था कि अनहोनी हो चुकी है । प्रतिभा अब इस दुनिया में नहीं रही । मैं अपने दोनों बच्चों को कांधे से चिपकाए गुमशुम बैठा था