पुस्तक की विषय वस्तु में क्या है? थोड़ा इस पर बात करना चाहता हूँ, विषय वस्तु में वह सब कुछ है, जिसमें समाज का चरित्र, समाज का स्वरुप, समाज की परंपरागत कथा वस्तु आपको दिखाई दे, अर्थात् जैसा कि कहा जाता है, कि साहित्य समाज का दर्पण है वह सब इस पुस्तक में झलकता है, लेकिन दर्पण में दिखते यथार्थ को दिशा की भी जरूरत होती है। लेखक यदि यथार्थ और दिशा दोनों को विषय वस्तु में, प्रस्तुत करने में सफल हो, तभी रचना का धर्म सम्पूर्ण होगा। लेखक के रूप में यह धर्म कितना निभा है, इस पुस्तक में, इसका आकलन आपको करना है । अंत में, मैं प्रकाशक महोदय का आभारी हूँ, जिनकी सद कामना से पुस्तक आप तक पहुँची है। श्री गुलशन भाटिया, जो कि एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था से आधी शताब्दी से जुड़े रहे व्यक्तित्व हैं, रचनाओं के चयन में उनका, अमूल्य सहयोग सराहनीय है, उन्हें साधुवाद कहना जरूरी है।
पुस्तक की विषय वस्तु में क्या है? थोड़ा इस पर बात करना चाहता हूँ, विषय वस्तु में वह सब कुछ है, जिसमें समाज का चरित्र, समाज का स्वरुप, समाज की परंपरागत कथा वस्तु आपको दिखाई दे, अर्थात् जैसा कि कहा जाता है, कि साहित्य समाज का दर्पण है वह सब इस पुस्तक में झलकता है, लेकिन दर्पण में दिखते यथार्थ को दिशा की भी जरूरत होती है। लेखक यदि यथार्थ और दिशा दोनों को विषय वस्तु में, प्रस्तुत करने में सफल हो, तभी रचना का धर्म सम्पूर्ण होगा। लेखक के रूप में यह धर्म कितना निभा है, इस पुस्तक में, इसका आकलन आपको करना है । अंत में, मैं प्रकाशक महोदय का आभारी हूँ, जिनकी सद कामना से पुस्तक आप तक पहुँची है। श्री गुलशन भाटिया, जो कि एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था से आधी शताब्दी से जुड़े रहे व्यक्तित्व हैं, रचनाओं के चयन में उनका, अमूल्य सहयोग सराहनीय है, उन्हें साधुवाद कहना जरूरी है।