पाठकों के लिए (1) मैं पवित्र कैसे बनूँ ? (भाग-1/2) इस पहली धार्मिक पुस्तक में मैंने Main Heading "मन की बात" में तरह-तरह विषयों पर थोड़ा-थोड़ा बताया है ताकि साधक/सत्संगी अगली सीढ़ी पर चढ़नें के लिए पूर्ण तैयार हो जाये। अब तैयार हो गया। (2) मैं पवित्र कैसे बनूँ ? (भाग-2/2) इस दूसरी धार्मिक पुस्तक में सीढ़ी के 11 डंडो को दोनों हाथों से पक्का पकड़कर धीरे-धीरे शिव नेत्र, तीसरे तिल, दसवें द्वार (दोनों आँखों के बीच) पर पहुँच जायेगा। (3) मैं निर्मल कैसे बनूँ (भाग-1/2) (4) मैं निर्मल कैसे बनूँ (भाग-2/2) इस कलयुग में पवित्र परमात्मा से मिलना काफी कठिन है। कम से कम सबसे पहले मैं अपने आपको (मैली चादर को) निर्मल तो बनाना शुरू करूँ, यह मेरे हाथ में है। मेरे मन पर तरह-तरह की मैली परते है, जिन्हें मुझे धीरे-धीरे साफ करना है।
पाठकों के लिए (1) मैं पवित्र कैसे बनूँ ? (भाग-1/2) इस पहली धार्मिक पुस्तक में मैंने Main Heading "मन की बात" में तरह-तरह विषयों पर थोड़ा-थोड़ा बताया है ताकि साधक/सत्संगी अगली सीढ़ी पर चढ़नें के लिए पूर्ण तैयार हो जाये। अब तैयार हो गया। (2) मैं पवित्र कैसे बनूँ ? (भाग-2/2) इस दूसरी धार्मिक पुस्तक में सीढ़ी के 11 डंडो को दोनों हाथों से पक्का पकड़कर धीरे-धीरे शिव नेत्र, तीसरे तिल, दसवें द्वार (दोनों आँखों के बीच) पर पहुँच जायेगा। (3) मैं निर्मल कैसे बनूँ (भाग-1/2) (4) मैं निर्मल कैसे बनूँ (भाग-2/2) इस कलयुग में पवित्र परमात्मा से मिलना काफी कठिन है। कम से कम सबसे पहले मैं अपने आपको (मैली चादर को) निर्मल तो बनाना शुरू करूँ, यह मेरे हाथ में है। मेरे मन पर तरह-तरह की मैली परते है, जिन्हें मुझे धीरे-धीरे साफ करना है।