मैं पाकिस्तान के मशहूर शायर सैय्यद मीराज जामी साहेब का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने इस किताब की एक-एक ग़ज़ल और नज्म को पढ़ा और सुधारा भी ।
मैं रीवा निवासी भांजे रामलाल मिश्रा तथा दामाद नवेन्दु शुक्ला का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझसे यह किताब हिन्दी में छपवाने का अनुरोध किया ।
मैं पाकिस्तान के मशहूर शायर सैय्यद मीराज जामी साहेब का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने इस किताब की एक-एक ग़ज़ल और नज्म को पढ़ा और सुधारा भी ।
मैं रीवा निवासी भांजे रामलाल मिश्रा तथा दामाद नवेन्दु शुक्ला का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझसे यह किताब हिन्दी में छपवाने का अनुरोध किया ।