प्रस्तुत ग्रंथ शोध प्रबंध है । इसमें यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि हिन्दी के आधुनिक पौराणिक प्रबन्ध –काव्यों में चरित्रों का विकास किन–किन रूपों में हुआ है । विदुषी लेखिका ने मिथकों का सामान्य परिचय प्रस्तुत करते हुए आधुनिक परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में नवीन चेतना का उद्भावन किया है । वाल्मीकि रामायण, महाभारत और पौराणिक वाङ्मय को उपजीव मानकर हिन्दी में जितने भी प्रबन्/ा काव्य और मिथकीय ग्रन्थ रचे गए हैं, उन्होंने उन सब पर गहन विचार किया है ।