‘डेढ़ बीघा जमीन’ उपन्यास के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और रूढ़िवादी परम्पराओं का उल्लेख करते हुए, एक गरीब दयनीय किसान की पिसती हुई ज़िन्दगी का व्याख्यान करते हुए । इन कुरीतियों पर लगाम कसने और इन्हें समाज से उखाड़ फेंकने का संदेश देते हुए साथ ही साथ एक बूढ़े माँ–बाप की व्यथा का वर्णन भी किया है । जिसका कारण मात्र उनकी औलाद है ।