हमारे समाज में कहीं ना कहीं, किसी ना किसी रूप में दानव व्याप्त हैं, और ऐसे दानवों की उपस्थिति से समाज के लोगों का जीवन त्रस्त है| ऐसे ही एक बर्बर एवं क्रूर शैतान का नाम देवराज है| देवराज अत्यंत अधम और नीच प्रकृति का व्यक्ति है, जो गाँव के विकास के लिये आया हुआ समस्त धन अपने विकास के लिये इस्तेमाल करता है| इस के अतिरिक्त अपने अन्य व्यापारों में भी वह सभी तरह के हथकंडे अपनाता है| देवराज के लिये उस का परिवार ही सर्वोपरि है| उस के जीवन का एकमात्र ध्येय है कि अपने बच्चों के लिये इतना धन कमाना कि उन की सत्तर पुश्तें खा सकें| राजनीति का पूर्ण रूप से व्यापारीकरण होने के कारण इस में धन कमाने के प्रचुर अवसर देख देवराज की दृष्टि अब इस व्यापार पर है| अपनी इसी विशिष्ट योजना के तहत देवराज ने अपने बड़े भाई के स्थान पर अपने खेतों में काम करने वाले एक दलित मजदूर गंगू को गाँव का प्रधान बनवाया| किंतु आत्म सम्मानी गंगू ने देवराज को अपनी कुटिल योजना में सफल नहीं होने दिया, अपितु उस ने इक्कीस वर्षीय मुस्कान को रामपुर विद्यालय में शिक्षामित्र नियुक्त कर लिया| मुस्कान की अपने कार्य के प्रति सजगता और समर्पण से देवराज की मुश्किलें और भी जटिल एवं विकट हो गईं| कुंठाग्रस्त देवराज ने एक भयावह षड्यंत्र की रचना की, कारणवश समस्त रामपुर गाँव में कोहराम मच गया ........