आशा यानी उम्मीद, विश्वास और किसी कार्य को पूरा करने का भरोसा अकसर हम अपनेआप या दूसरों से छोटीबड़ी अनेक आशाएं सहज ही रख लेते हैं, जिन में से कुछ पूरी हो जाती हैं और कुछ निराशा में तबदील हो कर रह जाती हैं।हमारे बेहतर वर्तमान व उज्ज्वल भविष्य से जुड़ी ये आशाएं निराशाओं में न बदलें, इस के लिए अपने आसपास से बहुत कुछ सीखना होगा। कुछ आत्म चुनौतियांµ धैर्य, परिश्रम, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं सचाई को सहर्ष स्वीकार करना होगा। ये सिर्फ किताबी बातें नहीं, बल्कि आशाओं को पूरा करने का माध्यम हैं।जीवन में सुधार अपेक्षित है। इसलिए निराश, हताश होने की बजाय फूलों, रंगों, नदियों, पुस्तकों, छोटोंबड़ों, शिक्षाशिक्षकों, अपने अच्छेबुरे कार्यों, विचारों एवं जीवअजीव पदार्थों से सबक लेना होगा। अगर देख कर भी हम उन्हें नजरअंदाज करते हैं, तो फिर हम आशाओं को पालने का निरर्थक प्रयास करते हैं, उन्हें पूरा करने या होने न होने से हमें कोईसरोकार नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक ‘छोटी सी आशा’ में सामाजिक आचारविचार एवं ज्ञानविज्ञान की व्यावहारिक बातों को कसौटी पर कस कर ऐसा निचोड़ प्रस्तुत किया गया है कि जीवन के विकासक्रम का ग्राफ निश्चित रूप से ऊपर की ओर बढ़ेगा। सच तो यह है कि जब हम बौद्धिकता के धरातल पर किसी चीज को अपनाते हैं, तो हमारा चहुंमुखी विकास होता है और यही विकास हर छोटीबड़ी आशाओं की मंजिल है। बस, हमें इसी मंजिल को पाना है, आइए देखें कि छोटी सी आशा में यह मंजिल कहां है!