राष्ट्रवाद देश के नागरिकों की अद्वितीय पूँजी है। लोकतंत्र प्रणाली हो या राजशाही शासन पद्धति राष्ट्र की रक्षा का भारत देश के नागरिकों पर होता है। खंड काव्य ‘दृष्टि अटल’ में भारत रत्न पूर्व प्रधनमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को केन्द्र बिंदु बनाते हुए राष्ट्रवाद को प्रमुखता दी। राष्ट्रवाद के महानायक श्री अटल जी वैश्विक क्षितिज पर राजनीति के अजातशत्रु हैं। संसद, संविधान, सत्ता पक्ष-विपक्ष, लोकतंत्र, सेक्यूलर शिक्षा, कला संस्कृति, दर्शन सभ्यता इस कृति के प्रमुख अंग हैं। लोकतंत्र के मानस पटल से जिस संसदीय सभ्यता का भारत में जन्म हुआ और राष्ट्र में पन्द्रह अगस्त 1947 को जिसकी प्राणप्रतिष्ठा हुई लेखक ने कविधर्म को निभाने का पूरा मनोयोग से प्रयास किया। श्री अटल जी राष्ट्रवाद के प्रखर स्वाध्यायी बनकर अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया यह राष्ट्र उनका आभारी रहेगा, राष्ट्रवाद देश के समस्त नागरिकों को अंगीकृत अधिनियमित आत्मर्पित करना चाहिए।