"जब भी इंसान के बारे में बताया गया है। कहा गया की इंसान गलतीयों को पुतला है। हर इंसान अपनी जिंदगी में किमान एक गलती तो करता है। किसी की गलती छोटी होती है तो कोई बढ़ी गलती है। बस युही अगर पुछ ले कोई .... अगर तुम्हें पिछले वक्त में जाने को मौका मिले तो क्या बदलना चाहीये ? जायेंगा। शायद जुबाॅ से कुछ कह ना पायें। लेकिन कल्पना के इस भवसागर में कुछ पल डुबकी जरूर लगायेंगा। कोई हँसते हुऐ तो कोई रोते हुऐ। पर हर वो इंसान जिसने सृष्ठी के गणीतीय नियम का अनुभव नही किया है। वो अक्सर कहता है। तो शायद कहानी कुछ और होती ....’’ ये अनिरूध्द नाम के लडके की कहानी है। उसके जिंदगी में एक आदमी को खुष रहने के लिये जो भी चाहीये वो सब कुछ था। पर उससे हुई पहली सबसे बड़ी गलती ने उससे सब छिन लिया।"