लेखक के अनुसार कोई भी गुरु, पैगम्बर, अवतार गलत नही है और ना ही धर्म ग्रंथ गलत है। गलत है तो मानव की मानसिकता, सोच विचार। हमारे गुरु, पीर, पैगम्बर हमे शिक्षा कुछ दे रहे हैं और हम कर कुछ और रहे हैं। यही परम सत्य सनातन है ... अनवरत झरने की तरह .... पृथ्वी ग्रह पर मानव जाति का असली धर्म तो केवल एक ही है -’’इंसानियत’’। मै बड़ा या मेरा धर्म बड़ा, ये धर्म मजहब तो कतई नहीं सिखाता आपस मे वैर रखना। लेकिन गुरुओं द्वारा प्रदत शिक्षा को पढ़ सुनकर भी ’’इंसानियत’’ Ism के भंवर मे अपनी इज्जत को गैरत होते देखने पर परवश है ....इससे बड़ा धर्म व आध्यात्मिक गुरुओं का घोर हनन, अवहेलना और परिहास क्या होगा घ्घ्घ् आध्यात्मिक पुस्तक ’’सत्य की ओर’’ का मुख्य उद्देश्य और लक्ष्य यही है कि हम सतगुरु, पीर, पैगम्बरों या अवतारों की शिक्षा का अनुसरण करें ताकि ये भविष्य उन्मुख तरो-ताजा रहे...।