"रिज़र्वेशन इन हैवन"" (स्वर्ग में आरक्षण ) एक हास्य व्यंग्यात्मक नाटक है। जिसमें वर्तमान समाज में प्रचलित आरक्षण व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए पुराणकथा के परिप्रेक्ष्य में धर्म और अधर्म के बीच एक गंभीर बहस और आरक्षण रूपी महाबेल का स्वरुप किस प्रकार का हो जो उन्नति में सहायक हो, को चरितार्थ किया है। भूलोक की भाँति स्वर्गलोक में उपस्थित आत्मायें अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करती है। स्वर्गलोक का अपूर्व सौन्दर्य, चित्रकला, दिव्यता एवं धर्मराज के महलों की अभूतपूर्व वास्तुकला का जीवंत चित्रण किया गया है। लेखक ने २१वी सदी के परिदृश्य में भ्रष्टाचार, जातिवाद, राजनीति में नैतिक पतन, घोटालों की बढ़ती फसल, नारी के प्रति घृणित व्यवहार, प्रतिभाओं का पलायन इत्यादि का व्यंग्यात्मक चित्रण किया है। नाटक में उभारे गए तीक्ष्ण बाण और चुटीले व्यंग्य के माध्यम से आर्यावर्त की लालफ़ीताशाही, घूसखोरी और क्रूरता को उजागर किया गया है। स्वर्गलोक में विद्यमान पुण्यात्माएँ अपने-अपने समुदाय हेतु आरक्षण व्यवस्था किस प्रकार प्राप्त करती है? स्वर्गापति धर्मराज अपने सिँहासन बचाने के लिए किस प्रकार की राजनैतिक गठजोड़ करते हैं, इसके लिए इस हास्य-व्यंग्य रस से ओत-प्रोत नाटक का मंचन देखना ही पडेगा। स्वर्गलोक का अहसास भूतल पर करने के लिए कृपया ""रिज़र्वेशन इन हैवन"" नाटक को अवश्य पढ़े ……..।